What Is Block Hole in Hindi
दोस्तों, आज हम ब्लैक होल के बारे में बात करेंगे
अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने वर्ष 1967 में पहली बार इन पिंडो के लिए ‘ब्लैक होल’ (Black Hole) शब्द का उपयोग किया।
ब्लैक होल क्या है, परमाणु संलयन से निकली होयी ऊर्जा के करन ही तारा गुरुत्वाकर्षण मे संतुतित रहटा हैं, यही कारण है कि जब तारा ठंडा होने लागता है तो अपने ही ईंधन को समाप्त कर चुके सोयॅ दव्यमान से 1.4 गुना दव्यमान वाले तारे जो अपने ही गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ ख़ुद को संभाल नही पाते ओर ऐसी स्थिति में इन तारो के अन्दर ऐक विस्फोट होता जिस्को हम सुपरनोवा कहते हे विस्फोट के बाद यदि उसका अवशेष बचता है, तो वह अत्यधिक घनत्वयुक्त ‘न्यूट्रान तारा’ Neutron star बन जाता है।
आकाशगंगा में ऐसे बहुत से तारे होते हैं जिनका द्रव्यमान सौर द्रव्यमान से तीन-चार गुना से भी अधिक होता है। ऐसे तारों पर गुरुत्वीय खिचांव अत्यधिक होने के कारण तारा संकुचित होने लगता हैं, और दिक्-काल Space-Time विकृत होने लगती है, परिणामत: जब तारा किसी निश्चित क्रांतिक सीमा (Critical limit) तक संकुचित हो जाता है, और अपनें ओर के दिक्-काल को इतना अधिक झुका लेता है कि अदृश्य हो जाता है। यही वे अदृश्य पिंड होते हैं जिसे अब हम ‘ब्लैक होल’ कहते हैं।
किसी ब्लैक होल का सम्पूर्ण द्रव्यमान एक बिंदु में केन्द्रित रहता है जिसे केन्द्रीय विलक्षणता बिंदु_Central Singularity Point कहते हैं। विलक्षणता बिंदु के आसपास वैज्ञानिको ने एक गोलाकार सीमा की कल्पना की है जिसे प्रायः घटना क्षितिज_Event Horizon कहा जाता है। घटना क्षितिज से परे प्रकाश सहित समस्त पदार्थ विलक्षणता बिंदु की दिशा में आकर्षित होकर खींचे चले जाते हैं। परन्तु घटना क्षितिज से होकर कोई भी वस्तु बाहर नही आ सकती है। घटना क्षितिज की त्रिज्या को स्क्वार्जस्चिल्ड त्रिज्या_Schwarzschild Radius के नाम से जाना जाता है, जिसका नामकरण जर्मन वैज्ञानिक और गणितज्ञ कार्ल स्क्वार्जस्चिल्ड_Karl Schwarzschild के सम्मान में किया गया है।
अल्बर्ट आइंस्टाइन_Albert Einstein के विशेष सापेक्षता सिद्धांत_Theory of Special Relativity के अनुसार एक निश्चित दूरी पर स्थित एक प्रेक्षक के लिए ब्लैक होल के निकट स्थित घड़ियाँ अत्यंत मंद गति से चलेंगी। विशेष सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार समय सापेक्ष है। समय व्यक्तिनिष्ठ है, जिस समय प्रेक्षक ‘अब’ कहता हैं, वह केवल स्थानीय निर्देश-प्रणाली पर ही लागू होती है, नाकि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड पर! इस प्रभाव को समय विस्तारण_Time Dilation कहते हैं।
ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण के कारण, उससे दूर स्थित कोई भी प्रेक्षक यह देखेगा कि ब्लैक होल के अंदर गिरने वाली कोई भी वस्तु उसके घटना क्षितिज के निकट बहुत कम गति से नीचें गिर रही है, उस तक पहुँचनें में अनंत काल-अवधि लगती हुई प्रतीत होती है। उस समय उस वस्तु की समस्त गतिविधियाँ अत्यंत धीमी होने लगेगी, इसलिए वस्तु का प्रकाश अत्यधिक लाल और धुंधला (अस्पष्ट) प्रतीत होगा।
इस प्रभाव को गुरुत्वीय अभिरक्त विस्थापन_Gravitational Red Shift कहते हैं। अंततः ब्लैक होल के अंदर गिरनेवाली वस्तु इतनी अधिक धुंधली हो जाएगी कि दिखाई देना बंद हो जायेगी। अधिकांशत: लोगो का यह मत होता है कि ब्लैक होल वैक्यूम क्लीनर_Vacuum Cleaner की तरह व्यवहार करता है, परन्तु ऐसा नहीं है। जो भी वस्तु ब्लैक होल के निकट जायेगा उसे ही वह निगलेगा। इसका अभिप्राय यह है कि यदि हमारा सूर्य एक ब्लैक होल बन जाए, तब इसकी त्रिज्या 3 किलोमीटर होगी, तो भी सभी ग्रहों की कक्षाएँ पूर्णतया अपरिवर्तित होंगी। ब्लैक होल किसी भी ग्रह को निगल नही सकेगा, बशर्ते यदि वह ग्रह ब्लैक होल के निकट न आवे।
ब्रह्माण्ड में कई प्रकार के ब्लैक होल हैं जो अपने विशिष्ट भौतिक गुणों द्वारा पहचाने जाते हैं। ऐसे तारे जिनका द्रव्यमान सौर द्रव्यमान से कुछ गुना अधिक होता है और गुरुत्वीय संकुचन के कारण वे अंततः एक ब्लैक होल में बदल जाते हैं। ऐसे कृष्ण विवरों को तारकीय द्रव्यमान ब्लैक होल_Stellar Mass Black Hole कहते हैं। ऐसे ब्लैक होल जिनका निर्माण आकाशगंगाओं के केंद्र में होता है, अतिसहंत ब्लैक होल_Super Massive Black Hole कहलाते हैं। इनका द्रव्यमान सौर द्रव्यमान की तुलना में लाखों-करोड़ों गुना अधिक होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारी आकाशगंगा-दुग्धमेखला के केंद्र में एक विशाल ब्लैक होल हैं और इसका द्रव्यमान सौर द्रव्यमान से एक करोड़ गुना है।
ऐसे ब्लैक होल जिनका द्रव्यमान सौर द्रव्यमान से भी कम होता है, उनका निर्माण गुरुत्वीय संकुचन के कारण न होकरके, बल्क़ि अपने केंद्र भाग के पदार्थ का दाब एवं ताप के कारण संपीडित होने से होता है। ऐसे कृष्ण विवरों को प्राचीन ब्लैक होल_Primordial Black Hole या लघु ब्लैक होल_Small Black Hole के नाम से जाना जाता हैं। इन लघु कृष्ण विवरों के बारे में वैज्ञानिकों की मान्यता है कि इनका निर्माण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के समय हुआ होगा। भौतिकविद् स्टीफन हाकिंग_Stephen Hawking के अनुसार हम ऐसे ब्लैक होलों के अध्ययन से ब्रह्माण्ड की आरंभिक अवस्थाओं के बारे में बहुत कुछ पता लगा सकते हैं।
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